जीवन में तरक्की करने की अगर परिभाषा दी जाए तो वो परिभाषा होगी आप जहाँ हैं वर्तमान में वहाँ से कमसेकम एक कदम आगे बढ़ जाएं असल में सफलता भी इसी को कहते हैं। एल ऐसी ही तरक्की की मिसाल हैं हमारे इलाहाबाद विश्वविद्यालय का हिस्सा रहे वरुण शुक्ला। बीते 24 सितंबर को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अपने परिणाम घोषित किये और इस परिणाम में एक नाम था वरुण शुक्ला का। वरुण को भी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त हुई और उनकी पूरे भारत में रैंक 697वीं रही , रैंक मायने नहीं रखती वहाँ जहां केवल चुना जाना ही टॉप कर जाने के बराबर होता है। यूपीएससी का रास्ता इतना कठिन है कि हर कोई इस रास्ते पर चल नहीं सकता लेकिन अपने परिश्रम , लगन , एकाग्रता और दृढ़ता के बलबूते वरुण इन राह पर चले भी और लक्ष्य तक पहुँचे भी। आइये जानते हैं वरुण के बारे में थोड़ा और...
वरुण शुक्ला के जीवन की बात करें तो ये एक बड़े ही साधारण परिवार से हैं और इसपर मोहर इस बात से लग जाती है कि इनके पिता एक सामान्य किसान हैं। वरुण प्रयागराज के होलागढ़ ब्लॉक के रहने वाले हैं। वरुण की शुरुआती पढ़ाई लिखाई यूपी बोर्ड से हुई है और बारहवीं के बाद इन्होनें इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी , एमएससी और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की , तीन साल पहले वरुण लेखपाल पद पर चयनित हुए और वर्तमान में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण में कार्यरत हैं।
एक सरकारी नौकरी करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना आसान नहीं है। वरुण नौकरी के साथ साथ इस कठिन परीक्षा की तैयारी भी करते रहे और स्वयं का निर्माण कुछ इस तरह किया कि परिणाम आज सामने है। जहाँ आज सरकारी नौकरी का अकाल पड़ा है छोटे से छोटे पदों पर भर्ती के लिए योग्य से योग्य अभ्यर्थी भी लाइन में हैं वहीं सरकारी नौकरी करते हुए भी वरुण में इच्छाशक्ति कम नहीं हुई और न ही ये रुके जिसका परिणाम ही आज सबके सामने हैं।
वरुण की सफलता यह भी साबित करती हैं कि आपका बैकग्राउंड , आपका दायित्व कभी आपके लक्ष्य के बीच नही आता है साथ ही आप किस बोर्ड से पढ़े हैं कोचिंग की है या नही यह भी मायने नही रखता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का हिस्सा रहे हमारे अग्रज वरुण शुक्ला सर को कोटि कोटि शुभकामनायें...