आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दोपहर से ही कुछ लोग लाइव विडियो बना रहे थे जिसमें सैकडों छात्र व प्रशासन की भीड़ के बीच एक मृतक की लाश दिख रही थी। हमारे टीम के पास विडियो पहुंचते ही हमारे टीम ने विडियो की तफ्तीश शुरू की और जगह देखने से लगा कि यह प्रकरण इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ही ताराचंद छात्रावास की है। हालाँकि शुरूआती दौर में तो यह लग रहा था कि छात्रों ने आज स्थापना दिवस पर कोई इस प्रकार का विरोध प्रदर्शन किया है लेकिन मामले को जाना गया तो कुछ और ही था ।
मृतक ताराचंद छात्रावास का था कर्मचारी
जब हमारी टीम ने ताराचंद हाॅस्टल के पुराछात्र विकास तिवारी से संपर्क साधा तो उन्होंने ने बताया कि हमारे यहाँ तीस वर्षों से कार्यरत रामकुमार नामक कर्मचारी का निधन हो गया है और जिसके उपचार के लिए पुराछात्र समूह भी पिछले चार दिन से लगातार सहयोग कर रहा था व लगभग डेढ-दो लाख रूपये दिए गए लेकिन वह बच नही सके। परिजनों को उचित सहयोग मिले इसके लिए छात्रों ने मृतक के बाॅडी को हाॅस्टल लाकर आंदोलन करना शुरू किया।
कर्मचारी नही परिवार जैसे है यह
ताराचंद छात्रावास के ही अभिनंदन जी कहते है कि कैसे उन कर्मचारी को छोड दे जिन्होने सैकड़ो प्रशासनिक अधिकारी, नेता व अन्य सुशोभित पद दिए। कैसे भूल जाए उन्हे जिनके हाथ के पानी-खाना खाकर हम अपनी भविष्य सँवारते है। पिछले दिनों से हमलोग परेशान थे लेकिन इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप व माँग
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि इन्हे संविदा के नाम वर्षो तक रखा गया और उचित भरण पोषण तक की व्यवस्था नही मिलती, कोरोना के दौर में तो और भी परेशान हुए। इन सबकी वजह से ए कुपोषण के शिकार हुए। मृतक के बाॅडी को रखकर छात्रों ने लगभग तीन-चार घंटो तक प्रदर्शन किया व माँग किया कि मृतक कर्मचारी के पत्नी को आश्रित नौकरी दी जाए, तत्काल आर्थिक मदद की जाए व ऐसे कर्मचारियों को स्थायी कर उनको उचित वेतन दिया जाए।
आनन फानन में पहुंचें अधिकारी, दिया आश्वासन
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन पहुंची व कुछ देर बाद विश्वविद्यालय प्रशासन के भी जिम्मेदार अधिकारी डीन छात्र कल्याण अधिकारी व कुलानुशासक मौके पर पहुंच छात्रों से बात किया। हमारे टीम से बात करते हुए कुलानुशासक महोदय ने बताया कि छात्रों के माँग को सुना गया व उचित सहयोग जरूर किया जाएगा।