इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इलाहाबाद से गहरा था श्री लाल बहादुर शास्त्री का रिश्ता


आज महात्मा गाँधी के साथ ही जन्मदिन है हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी , शास्त्री जी एक कुशल विचारक , एक कुशल नेतृत्वकर्ता और बेहद ही सरल स्वभाव के धनी थे उनका विश्वास हल्ला मचाने से ज्यादा कार्यों को करने में था और इसी के कारण उन्होंने भारत पर एक अलग छाप छोड़ी। उनके जन्मदिन पर आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातों को..


सादा जीवन उच्च विचार -

श्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन बड़ा ही सादा था , एक सामान्य सी पोशाक और एक दम सामान्य सी जीवनशैली थी उनकी जो अन्य हस्तियों से बिल्कुल अलग थी , उनके नजदीक रहे लोग बताते हैं कि लाल बहादुर का स्वभाव भी बड़ा ही सजह था और बड़े ही मृदुभाषी थे।


इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इलाहाबाद से था गहरा नाता -

इलाहाबाद से लाल बहादुर शास्त्री जी का बेहद ही मजबूत रिश्ता रहा है और स्वतंत्रता आंदोलन के समय वर्ष में कई बार उनका आना जाना इलाहाबाद होता रहा है , गाँधी जी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में इलाहाबाद से श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने ही अगुवाई की और उसे सफल भी बनाया।

फ़िराक़ गोरखपुरी जो मशहूर साहित्यकार रहे हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्र भी उनकी स्मृति के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री एक नहीं एक से ज्यादा बार या यूँ कहें कि अनेकों बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय आते थे और वहाँ देश को लेकर कई बार बड़े चिंतन और मनन किया करते थे। 

गोरखपुरी जी बताते हैं कि "वर्ष 1965 में जब वे किसी चुनावी जनसभा को संबोधित करने इलाहाबाद आए थे तब वे कई घण्टों तक विश्वविद्यालय में रुके थे।"


जय जवान जय किसान का नारा भी इलाहाबाद से ही हुआ था बुलंद -

वर्ष 1965 में भारत और पाक के बीच चल रहे युद्ध के समय वे इलाहाबाद आये थे और करछना विधानसभा के उरुवा ब्लॉक में किसी जनसभा को संबोधित कर रहे थे और इसी जनसभा में उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया था। ये वो समय था जब भारत में भुखमरी बढ़ रही थी और एक तरफ भारत सीमा पर पाकिस्तान से युद्ध लड़ रहा था। ऐसा माना जाता है कि इस नारे से भारत के किसानों और सैनिकों में एक अलग ही जोश ने जन्म लिया था।


एक वक़्त खाएंगे लेकिन झुकेंगे नही -

देश का हित हो इसके लिए कुछ चीजों से समझौता कर लेना कोई बुरी बात नहीं ऐसी सोच वाले श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश को उस वक़्त गौरव का एहसास करवाया था जब भारत पाक युद्ध चल रहा था और पाक समर्थन में अमेरिका ने गेहूँ के भारत निर्यात पर रोक लगा दी थी और भारत पर भुखमरी का संकट गहरा गया था उस वक़्त प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने खुले मंच से यह प्रण लिया था कि एक वक्त खाएंगे लेकिन अमेरिका के सामने नही झुकेंगे। माना जाता है कि वे सप्ताह में एक दिन व्रत भी किया करते थे।


1957 और 1962 में इलाहाबाद से सांसद रहे थे शास्त्री जी -

आपको बता दें कि इलाहाबाद से शास्त्री जी का अभिन्न नाता रहा है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह कहा जा सकता है कि वे 1957 और 1962 में इलाहाबाद संसदीय सीट से सासंद भी रहे थे।


उनकी कई आदतें उन्हें सबसे खास और अलग बनाती हैं , तभी तो कोई लाल बहादुर शास्त्री जैसा नही हो सकता क्यों कि शास्त्री केवल एक ही था और रहेगा...

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