1. जो व्यक्ति स्वतंत्रता के बारे में सोचता है, वो किसी अन्य को गुलाम बनाने के बारे में नहीं सोच सकता।
2. हमारी मासूमियत जितनी बड़ी होती है, हमारी ताकत उतनी ही बड़ी होती है और हमारी जीत को मजबूत करती है।
3. स्वतंत्रता का अर्थ है स्वैच्छिक संयम और अनुशासन, जिसमे कानून के शासन की स्वैच्छिक स्वीकृति हो।
4. बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो।
5. पाखंड और विकृति धर्म के नाम पर धाराओं को पारित कर रहे हैं।
6. मनुष्य उस हद तक महान बन जाता है, जिसमें वह लोगों के कल्याण के लिए काम करता है।
7. अहिंसा की शक्ति से आप पूरी दुनिया को हिला सकते हैं।
8. आप असत्य को कितना भी बढ़ा चढ़ा कर बोलें, वो सत्य नहीं बन जाता। इसी तरह सत्य भी असत्य नहीं बनता।
9. हमको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक महासागर के सामान है, यदि सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो पूरे महासागर को गंदा नहीं कहा जा सकता।
10. हर रात, जब मैं सोने जाता हूँ, मैं मर जाता हूँ। अगली सुबह, जब मैं उठता हूँ, मेरा पुनर्जन्म होता है।
11. एक भूखें के लिए रोटी ही उसका भगवान है।
12. एक सभ्य और और आदर्श परिवार के समान कोई विद्यालय नहीं है और एक भले अभिभावक जैसा कोई अन्य शिक्षक नहीं है।
13. आप भी अपने आप में वह परिवर्तन लाएं जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।
14. जब तक आप किसी को वास्तव में खो नहीं देते, तब तक आप उसकी अहमियत नहीं समझते।
15. प्रयास करने में ही संतोष निहित है, प्राप्ति में नहीं। आपका पूर्ण प्रयास ही आपकी पूर्ण विजय है।
महात्मा गाँधी के ये विचार उनकी महानता की व्यख्या करते हैं और ये बताते हैं कि क्यों कहे जाते हैं वे भारत के राष्ट्रपिता। ये महात्मा गाँधी के वो विचार हैं जो हम सबके लिए किसी न किसी तरह से बाद काम के हैं...