आज प्रकाशपर्व गुरुनानक जयंती पर सुबह नौ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधन करते हुए तीनो कृषि कानून को वापस लेने का निर्णय लिया है जिसके बाद पूरे देश के किसानो के बीच खुशी की लहर दौड़ गयी है। साथ ही पंजाब व उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भी माहौल और भी गर्म हो गयी है। ज्ञात हो कि छात्रसंघ इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर भी निरंतर छात्र-छात्राओ ने किसान आंदोलन के समर्थन में आवाज बुलंद किए है।
हम छात्र-छात्राओ के पढाई, दवाई व कमाई की जीत -
हमारे टीम से बात करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने बताया कि यह किसानो की जीत है और लोग कहते है कि इससे छात्रो का क्या तो साहब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढने वाले छात्र-छात्राएँ उस बेल्ट के है जहाँ के छात्र-छात्राओ के परिवार का आय किसानी और मजदूरी होती है। ए लड़ाई हम छात्र-छात्राओ के पढाई, दवाई और कमाई की लडाई थी हम अपने अभिवावको के लड़ाई में जितना बन पाया सहयोग किए, हम किसान पुत्र है अगर हमारी आय ही नही होगी तो हमारी पढाई लिखाई और दवाई सब बंद हो जाएगी। हमारे परिवार के लोगो को क्या क्या नही कहा गया। खालिस्तानी, आतंकवादी तमाम चीज, बयान देते ही अखिलेश जी भावुक हो गए।
किसान नेता टिकैत की पहली प्रतिक्रिया -
किसान नेता राकेश टिकैत ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम संसद से पास होने वाले नियम पर विश्वास करेंगे, हम इनके मौखिक बात पर विश्वास नही करेंगे क्योंकि इन्होने मौखिक तो 15-15 लाख रूपये देने को भी कहा था।
जाहिर ही बात है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय पूर्वांचल के तमाम निम्म वर्गीय छात्र-छात्राओ का पहला पसंद होता है जहाँ कि सस्ती शिक्षा के साथ साथ अधिक सीट पर छात्र-छात्राओ को नामांकन मिलता है।