तो क्या मोदी सरकार पर काॅमेंट का खामियाजा भुगतेंगे गुलज़ार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय दीक्षांत में मिलने वाले मानद पर मंत्रालय ने नहीं दी मंजूरी


इलाहाबाद विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह शुरू से ही विवादो में घिरा हुआ है, जिस तरीके से एकबार दीक्षांत समारोह को स्थगित कर देना माननीय चीफ रेक्टर व राज्यपाल उत्तर प्रदेश का नही आना कही न कही कुछ गूढ़ बातों का संकेत कर रहा है लेकिन आधिकारिक रूप से बोलने पर विश्वविद्यालय के अधिकारी बच रहे है। दूसरी तरफ माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इनके प्रोमोशन आधारित मेडल प्रकिया को नकारना व निरस्त की बाते कहना और कल उसी कड़ी में मशहूर साहित्यकार व गीतकार गुलज़ार साहब का दीक्षांत के ठीक दो दिन पहले मानद उपाधि देने की संस्तुति शिक्षा मंत्रालय द्वारा न मिलना।

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गुलजार को मानद उपाधि देना चाहता था इविवि -

बताते चले कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय मशहूर साहित्यकार व गीतकार गुलज़ार साहब को अपने मानद उपाधि से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आगामी दीक्षांत समारोह में उनके फिल्म व साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए नवाजना चाहता था। जिसके लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्य परिषद ने उनके नाम पर मोहर लगाकर शिक्षा मंत्रालय को भेजा था लेकिन अब जन संपर्क अधिकारी का कहना है कि मंत्रालय द्वारा उनके नाम की संस्तुति नही मिली है।

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तो क्या मोदी सरकार पर काॅमेंट का है खामियाजा -

हालाँकि इस मामले पर कोई इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन का अधिकारी स्पष्ट बोलने से बच रहा है लेकिन सभी के मन में यह जानने की उत्सुकता जरूर है कि आखिर क्या ऐसी वजह है जिससे शिक्षा मंत्रालय द्वारा गुलजार के नाम की संस्तुति नही मिली। जानकारों का कहना है कि गुलजार ने मोदी सरकार पर हमेशा टिप्पणी की है जिसका ही खामियाजा है यह क्योंकि अक्टूबर 2015 में अवार्ड वापसी पर टिप्पणी करते हुए एक टेलीविजन शो में गुलजार ने कहा था कि ऐसी स्थिति कभी नही आई थी जब हमें नाम से पहले धर्म बताना पड़े। वही दिसंबर 2019 में CAA पर चुटकी लेते हुए एक शो में गुलजार ने कहा था कि "दोस्तो, मै आपको 'मित्रों' से संबोधित करना चाहता था लेकिन रूक गया, क्योंकि आपको नही पता ए दिल्ली वाले कब क्या कानून ला दें, कोई ठीक नही"

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