शोधपत्र प्रस्तुतीकरण की लगी झड़ी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय भूगोल विभाग में आयोजित हुई IGI की 33वीं अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस, जानिए पूरी खबर

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दिनांक 2 दिसंबर से 4 दिसंबर तक इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जिओफोर्फोलोजिस्ट (IGI) की 33वीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित हुई। इस बार इस कार्यक्रम की मेजबानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग को मिली थी। इस बार कान्फ्रेंस का थीम "GEOMORPHOLOGY AND ENVIRONMENTAL SUSTAINABILITY" रखा गया था। कार्यक्रम की जिम्मेदारी IGI के सेक्रेटरी प्रोफेसर ए.आर सिद्धीकी की थी बताते चले कि प्रोफेसर ए.आर सिद्दीकी भूगोल विभाग इलाहाबाद के विश्वविद्यालय के अध्यक्ष व लोकल IGI बाॅडी एयू के कनवेनर भी है।


कान्फ्रेंस के 15 सेशन में 15 विभिन्न शोधपत्र पर चर्चा -

Session 1:- Geomorphology and Environmental Sustainability.

Session 2:- Impact of Climate Change, Global Warming and Extreme Weather Events.

Session 3:- Geomorphological Hazards and Geomorphological Mapping.

Session 4:- Fluvial Processes and Landforms.

Session 5:- Impact of Geomorphic Processes on Human and Natural Ecosystems.

Session 6:- Arid and Semi-Arid Geomorphology.

Session 7:- Glacial and Periglacial Geomorphology.

Session 8:- Mountain Tectonic Geomorphology.

Session 9:- Coastal Geomorphology.

Session 10:- Role of Remote Sensing and GIS in Geomorphological Studies.

Session 11:- Disasters, Hazards and Livelihood.

Session 12:- Geomorphosites, Geomorpho- Heritage and Geo- Tourism.

Session 13:- River Health, Hydrology and Urban Geomorphology.

Session 14:- Panel Discussion on Geomorphology and Environmental Sustainability.

Session 15:- Mapping and Monitoring of Natural Resources.


शोधपत्र प्रस्तुतीकरण की लगी झडी -

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में 15 विभिन्न विषयों के अलावा भी कार्यक्रम में 10 अन्य भू आकृति विज्ञान एवं पर्यावरण संपोषणीयता के विषय पर चर्चा हुई। बताते चले कि इस कार्यक्रम में 330 लोगों ने शोधपत्र प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में उपस्थित रहीं कई हस्तियाँ -

33वें IGI अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ जी मुख्य अतिथि के रूप में थे, विशिष्ट अतिथि के रूप में सेंटर फाॅर स्पेशल इनफॉर्मेशन साइंस टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टी.काशी ओगुची और अंतरराष्ट्रीय भू आकृतिक संघ के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सुनील कुमार डे व IGI के अध्यक्ष प्रोफेसर डीडी चिनियाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समन्वयक की भूमिका में प्रोफेसर ए.आर सिद्दीकी व संयोजन सहयोग में डाॅ अशोक चौधरी उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पूरी दुनिया को इस समय चरम जलवायु से और जलवायु परिवर्तनों बदलने वाली भू आकृतिक परिदृश्य को स्थानीय रूप में देखना होगा इस समस्या को वृद्ध रूप में बड़े स्तर पर ना देख कर स्थानीय समस्याओं को पहचान कर उनके निदान की बात दुनिया भर के वैज्ञानिकों को सोचना होगा भारत संसाधनों की संबंधों से भरा हुआ है संसाधनों बेहतर तरीके से उपयोग ही उसका संरक्षण है संसाधनों के संरक्षण की जिम्मेदारी भूगोल बेताओं की है।

 इस मौके पर विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर टकाशी ओगुच्ची ने कहा कि आज भारत विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है भारत और जापान की स्थिति एक जैसी है भारत मैं विकास की संभावनाओं को विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं और पर्यावरण के खतरों से निपटने के लिए पूरे दुनिया भर के भौगोलिक वैज्ञानिकों भू आकृति वैज्ञानिकों की भूमिका बड़ी है और इन सभी को मिलकर काम करना होगा।

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