सर सुंदर लाल छात्रावास इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुराछात्र सम्मेलन दिनांक 25 दिसंबर को एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ऑफिसर्स इंस्टिट्यूट, सफदरजंग, नई दिल्ली में आयोजित हुयी। कार्यक्रम में दर्जनों पुराछात्रों ने सिरकत की व अपने विश्वविद्यालय के दौर के अनुभवों को साझा किया। चूँकि यह हाॅस्टल का पुराछात्र सम्मेलन था तो जाहिर सी बात है कि हाॅस्टल से जुड़ी रोचक कहानियाँ व अनुभव भी सुनने को मिलेंगे।
क्या रही कार्यक्रम की रूपरेखा -
कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 12 बजे हुई। पहले चरण में उपस्थित सभी पुराछात्रों ने एक एक कर अपना परिचय दिया। दूसरे चरण में सभी ने अपने अपने विश्वविद्यालयी व हाॅस्टल के रोचक अनुभवों को साझा किया। उसके बाद मनोरंजन के साथ भोजन के बाद कार्यक्रम का सफल समापन हो गया।
हाॅस्टल इंट्रों की कहानियों पर खिल उठे चेहरे -
ज्ञात हो कि जब हाॅस्टल की बातें हो और हाॅस्टल इंट्रो की बात न आए तो मजा ही न आए। खैर पुराछात्र सम्मेलन में सीनियर्स ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उस समय हमलोग किराए पर साइकिल लेकर संगम घूमते थे। इंट्रों के समय सिक्के से हाॅस्टल की लंबाई मापते थे। सीनियर्स से डर का आलम तो यह होता था कि पेशाब करने वाशरूम न जाकर रूम की खिड़की से पेशाब करते थे। एक पुराछात्र ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब आयोग के परिणाम आते थे तो जिस ब्लाॅक के बच्चे ज्यादा रिजल्ट देते थे काॅमन हाॅल के किसी कार्यक्रम में उस ब्लाॅक के बच्चों के लिए आगे का सीट आरक्षित रहता था जिससे कि और भी प्रतिस्पर्धा बढती थी। दिन भर घूमने के बाद रात में सबकी लाइट जलने लगती थी। दिन मे वही छात्र अलग रात मे अलग हो जाता था।
सम्मेलन में उपस्थित रहे नामचीन पुराछात्र -
बताते चलें कि कार्यक्रम में सर सुंदर लाल छात्रावास के पुराछात्र पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी (राजस्थान उच्च न्यायालय), मशहूर एस्ट्रोलोजर इंदु प्रकाश मिश्र, DCP दिल्ली ट्रांसपोर्ट मनोज कुमार पांडेय, जोनल SBI डायरेक्टर नवीन चंद्रा, रिटायर्ड IAS राकेश पांडेय, रिटायर्ड IAS ज्ञानेंद्र मिश्र, सदस्य UPSC राकेश कुमार तिवारी, DDMO नोएडा संजय मिश्र समेत तमाम पुराछात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन पुराछात्र प्रदीप अस्थाना, संजीव मिश्र, राकेश पांडेय, ज्ञानेंद्र मिश्र, सीपी मिश्र, ब्रजेश शुक्ला, नवीन चंद्रा द्वारा किया गया था।
इस कार्यक्रम की खबर हमने नई दिल्ली से कार्यक्रम में उपस्थित SSL पुराछात्र अंकित मिश्र से बातचीत के आधार पर लिखी है।