इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पौध रहे देश के ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद्, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की आज 160वीं जयंती पूरे देशभर भर में पूरे जोश के साथ मनाया जा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ समेत तमाम हस्तियों ने महामना के उत्कृष्टता व योगदान को याद करते हुए अपनी श्रद्धा प्रकट की।
महामना व इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रिश्ता -
बताते चलें कि महामना के म्योर काॅलेज जो कि वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय है उससे सन 1879 में मैट्रिकुलेशन की डिग्री ली थी। महामना का जन्म प्रयागराज के ही अहियापुर में 25 दिसंबर 1861 को हुआ था।
हिंदू हाॅस्टल और फिर हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना -
ज्ञात हो महामना मदन मोहन मालवीय की पहली कृति हिंदू छात्रावास थी जो कि वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अंग है। हिंदू छात्रावास एक आवासीय काॅलेज था जिसकी स्थापना महामना द्वारा सन 1901 में की गयी। उसके बाद पर्याप्त जगह न होने के कारण महामना ने हिंदू विश्वविद्यालय की नींव वाराणसी में 1904 में महाराजा प्रभु नारायण सिंह के सहयोग से रखा।
हिंदू छात्रावास परिवार ने मनाया जयंती -
इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिंदू छात्रावास परिवार ने महामना की 160वीं जयंती मालवीय चौराहा प्रयागराज व हिंदू छात्रावास में मनाया। हिन्दू छात्रावास परिवार के सदस्यों द्वारा मालवीय जी की प्रतिमा पे माल्यार्पण कर उन्हें व उनके विचारों और स्वतंत्रता संघर्ष व राष्ट्र पुनर्निर्माण में उनके द्वारा किये गए स्वर्णिम योगदान को स्मरण किया गया। इस शुभ अवसर पर सांसद प्रयागराज श्रीमती रीता जोशी जी ने कहा कि मैकाले द्वारा भारत की शिक्षा व्यस्था को ध्वस्त किये जाने के बाद मालवीय जी द्वारा पुनः भारतीय शिक्षा व्यवस्था को जीवंत करने के उद्देश्य से अनगिनत प्रयास किये गए जिसका परिणाम है कि आज लाखों छात्र मालवीय जी द्वारा किये गए प्रयासों के माध्यम से लाभान्वित हुए और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा जी ने कहा कि मालवीय जी एक उम्दा व्यक्ति के साथ ही साथ एक अच्छे लेखक, पत्रकार व अधिवक्ता थे। जिन क्रांतिकारियों का मुकदमा कोई नही लड़ता था मालवीय जी निःशुल्क उनका मुकदमा पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ लड़ते थे। पूर्व अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह जी ने कहा के यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे पिता जी मालवीय जी के शिष्य रहे हैं। पिता जी द्वारा बचपन से हमें मालवीय जी के स्मरण सुनने को मिलते रहते थे ,मालवीय जी के योगदान को शब्दों में बांधना सूर्य को दिया दिखाने के समान है। कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता व पुराछात्र अमरेंदु सिंह ने किया। इस अवसर पर सुरेंद्र नाथ मिश्रा, राजेश सिंह, जयप्रकाश राय, अभिषेक शुक्ला, संजय सिंह, राकेश राय, डाॅ धर्मेंद्र साहू, हरिओमकार सिंह, जितेंद्र सिंह, सत्यपाल सिंह, सुनिल सिंह, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, पवन यादव, अनुभव उपाध्याय, शशिकांत सिंह, शिवम सिंह, शशिकांत यादव, आलोक सिंह, धनंजय मिश्र आदि लोग उपस्थित रहे।