कब इंसान को कौन सी चीज प्रेरणा दे जाए या किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित कर दे ए इंसान को नही पता। पर अक्सर हम कहानियों को सुनते है जहाँ कोई व्यक्ति किसी न किसी कारण से अपनी सफलता को प्राप्त करता है या कोई अलग उपलब्धि हासिल करता है। कुछ ऐसी ही एक कहानी आयी है इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जहाँ कि एक शोधछात्र ने अपने बिमार मित्र को देख व उनकी परेशानियों को देख एक नया यंत्र बनाया है जिसे अब भारत सरकार ने भी मान्यता दे दी है। आइए जानते है पूरी स्टोरी...
मरीज मित्र को देखकर मिली प्रेरणा -
बताते चले कि जुलाई मे शोध छात्र राहुल कन्नौजिया के मित्र की तबियत अचानक से खराब हुई और मित्र को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। उन्हें हर दिन अपने मित्र का हालचाल लेने अस्पताल जाना पड़ता था। शोध छात्र राहुल कन्नौजिया बताते है कि मित्र के शरीर में ड्रिप के जरिए शरीर में दवा पहुचाने में कई बार दिक्कत हुई। मित्र के शरीर में तकलीफ देख राहुल ने ऐसी डिवाइस तैयार करने की सोची जिससे कि दवा मरीज के शरीर में आसानी से पहुँच जाए। फिर चार लोगों की टीम बनी जिसमें मुख्य रूप से शोध छात्र राहुल कन्नौजिया, प्रो . शेखर श्रीवास्तव, गुलाम मुस्तफा व मुकता सिंह शामिल है। कन्नौजिया के निर्देशन व प्रोफेसर शेखर श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में डिजाइन तैयार की गयी।
क्या है यंत्र और किसे मिलेगी राहत -
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोधछात्र राहुल कन्नौजिया ने हमारे टीम से बात करते हुए बताया कि इस डिवाइस के जरिए मरीज के शरीर में सीधे दवाएँ या अन्य पदार्थों को संतुलित मात्रा में पहुंचाया जा सकता है। ऐसी दवाएँ जो एकदम कम मात्रा में मरीज़ों को दी जाती है उसे भी माँशपेशियों व प्रभावित हिस्से तक बिना किसी साइड इफेक्ट के आसानी से पहुंचाया जा सकता है।
क्या है डिवाइस की खासियत -
इस विषय पर राहुल ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि जब मरीज के शरीर में खून व अन्य पदार्थ को चढ़ाया जाता है तो पैकेट मे खून खत्म होने पर शरीर से खून व तरल पदार्थ वापस जाने लगता है। लेकिन इस डिवाइस मे ऐसी व्यवस्था की गई है कि वह खुद लाँक हो जाती है। डिवाइस मे सीरिज भी लगी होगी और बटन भी होगा जिसे दबाकर आवश्यकतानुसार रक्त फ्लुड अथवा अन्य दवाएँ मरीज के शरीर में पहुँचाई जा सकेगी। खासकर यह डिवाइस बच्चों व बूढों के लिए अधिक फायदेमंद होगी क्योंकि कयी बार बच्चों व बुज़ुर्गों में दवाओं की खुराक आवश्यकता से अधिक पहुँच जाती है जो कि उनके फेफ़डे के लिए काफी नुकसानदायक साबित होती है। इस डिवाइस के माध्यम से बच्चों व बूढो में उनकी आवश्यकतानुसार तरल पदार्थ को पहुंचाने में सुलभता होगी।
अंतत: भारत सरकार से पेंटेंट को मिली मंजूरी -
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत कोलकात्ता स्थित कन्ट्रोलर जनरल ऑफ पेंटेंट डिजाइन एंड ट्रेडमार्क ने इस डिजाइन को 10 वर्षों के लिए मंजूरी दे दी है और पेंटेंट भारत सरकार के अधिकारिक पेंटेंट गजट में प्रकाशित हो गया है। इसके बाद भविष्य में यदि कोई कंपनी संपर्क करती है तो उसे डिजाइन सौपी जाएगी, साथ ही साथ शोधछात्र राहुल इस डिवाइस को बाजार में उतारने में कंपनी की मदद करेंगें।
विश्वविद्यालय में खुशी की लहर -
शोधछात्र राहुल कन्नौजिया व उनके टीम की इस उपलब्धि पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र, शिक्षक व पूरे विश्वविद्यालय में खुशी व गर्व का माहौल है। लगातार बधाइयों की झडी लगी हुयी है। राहुल ने अपने सभी शुभचिंतको को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सब विश्वविद्यालय परिवार के संस्कार व शिक्षा के बदौलत हुआ है। राहुल ने मुख्य रूप से प्रोफेसर शेखर श्रीवास्तव, प्रोफेसर एस.आई रिजवी, डाॅ अर्चना पांडेय को इसका श्रेय दिया। उधर राहुल के गृहजनपद कौशांबी के युवाओ ने इसे अपने जनपद के लिए उपलब्धि बतायी है हालाँकि एक दशक से राहुल प्रयागराज रहते है और इनकी शिक्षा दीक्षा यही से जारी है।