DELHI HIGHT COURT : आमतौर पर विश्वविद्यालयों में नामांकन के समय छात्र-छात्राओं में कटऑफ, एडमिशन की तारीख व सीट्स को लेकर उहापोह की स्थिति रहती है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि छात्र-छात्राओं को सीट्स खाली होने के बावजूद भी एडमिशन नही मिल पाता है और संस्थान एडमिशन बंद कर देता है। ऐसे में माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय से एक सुखद खबर आ रही है। आइए जानते है पूरा प्रकरण।
छात्र ने डाला था दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका -
बताते चलें कि माननीय दिल्ली हाईकोर्ट में दिपांशु खन्ना व दो अन्य ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय LLB पाठ्यक्रम में सीट्स खाली होने के बावजूद भी दाखिला देने से इनकार कर रहा है और कह रहा है कि एडमिशन क्लोज हो गया है। मामले पर याचिकाकर्ता ने माननीय न्यायालय से जल्द सुनवाई की गुहार लगायी थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय का तर्क -
दिल्ली विश्वविद्यालय ने माननीय न्यायालय में यह तर्क दिया कि चूँकि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रवेश प्रकिया समाप्त हो गयी है। ऐसे मे याचिकाकर्ता को दाखिला नही दिया जा सकता है। लेकिन माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इस दलील को सीरे से खारिज कर दिया।
माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला -
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि भले ही दाखिले की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी हो लेकिन सीट्स खाली रहने पर विश्वविद्यालय दाखिला देने से इनकार नही कर सकता। छात्र-छात्राओं को डिग्री हासिल करने से वंचित नही किया जाना चाहिए। छात्र-छात्राओं ने प्रवेश परीक्षा पास कर अपना धैर्य व संकल्प दिखाया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय को फटकार व आदेश -
माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय को कहा था कि कटऑफ व अन्य प्रकियाओ में विश्वविद्यालय ने खुद देरी किया व नियमों का पालन नही किया। खुद गलती कर अब दाखिले की तारीख बीत जाने की बात कर नामांकन देने से इनकार नही कर सकते। माननीय न्यायालय ने दो सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता के संबंधित विषय पर सभी बचे सीट्स पर नामांकन करने का आदेश दिल्ली विश्वविद्यालय को दिया।