स्टोरी एयू : चंद्रशेखर, वी.पी, एन.डी व दर्जनों अन्य के साथ दर्ज हुए अभिषेक द्विवेदी, दशकों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पैदा होता है महानायक


ALLAHABAD UNIVERSITY : इलाहाबाद विश्वविद्यालय हमेशा से राजनीति की नर्सरी कही जाती है और समय समय पर एक न एक महानायक इलाहाबाद विश्वविद्यालय की बगिया से निकलकर देश विदेश व विभिन्न प्रदेश की राजनिति को दशा देने का काम किया है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व हरेक पदो को सुशोभित किया है। आज पुन: इलाहाबाद विश्वविद्यालय की फिजाओ में एक नया नाम गूँज रहा है जिसे छात्र-छात्राओ ने महानायक की उपाधि दी है। नाम है अभिषेक द्विवेदी...

क्यों है अभिषेक द्विवेदी महानायक -

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असंभव से लग रहे ऑनलाइन परीक्षाओ के लिए 43 दिनों तक संघर्ष कर जीत अपनी पोटली में डालने का काम एक छात्रनेता ने किया। वह ही तब जब जिसके पीछे किसी बडे व्यक्ति का हाथ नही था, किसी बडे का समर्थन नही था, जो कुछ भी बना, बुना व बनाया व इलाहाबाद विश्वविद्यालय व संगठक काॅलेजेज के आम छात्र-छात्राओ ने। भोजन, कपडा व हर जरूरत की चीजो की भरपाई मठाधीश न होकर आम छात्र-छात्राओ के पूरी की।

बिन पिता निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से है अभिषेक -

ज्ञात है कि अभिषेक द्विवेदी के सर से बचपन से ही पिता का साया उठ गया था लिहाजा भरण पोषण माँ के छाया से हुआ है। कृषि किसानी के जो कुछ आय बनी/बटई होते है उसी पर चलकर अभिषेक अपनी पढाई के लिए कौशांबी से प्रयागराज आए जहाँ सन 2018 में दाखिला लेकर अपनी पढाई शुरू की। आज भी साइकल व पैदल से चलने वाला अभिषेक जब कभी लगता है कि बच्चो के बीच जाना है तो साइकल पैदल छोड इ-रिक्शा का सवारी करता है। आमतौर पर पैदल चलते हुए दिखायी देने वाला यह युवा पढाई के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तमाम सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में अपनी सक्रियता निभाता रहा और 2021 में अपनी डिग्री पूरी कर ली।

स्नातक की डिग्री से पहले मिली महानायक की उपाधि -

इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने 11 फरवरी 2022 को ऑफलाइन परीक्षाओ का निर्णय लिया और अंकित द्विवेदी ने 14 फरवरी 2022 को विश्वविद्यालय घेराव का आह्वान किया। जमीन पर दर्जनो छात्रनेताओ व हजारो छात्र-छात्राओ में अपनी आवाज को बुलंद करने वाला एक छात्रनेता निकलता है अभिषेक द्विवेदी, काॅल देने के बावजूद अंकित द्विवेदी मुद्दे पर मौन होकर ऑफलाइन की बात करते है। सभी छात्रनेताओ ने अपना मुंह भी ऑफलाइन की ओर कर लिया लेकिन अभिषेक द्विवेदी ने एकलौता आह्वान किया और अपने क्रमबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन जारी रखा, दबाव मे हाई पावर कमेटी बनी, अभिषेक का कैंपस बैन हुआ, अभिषेक ने क्रमिक से लेकर आमरण अनशन किए। तमाम छात्रनेताओ ने मैदान छोडना शुरू कर दिया। अगर किसी ने नही छोडा तो वह था अभिषेक द्विवेदी का नेतृत्व व उसके पीछे मिल रहे आम छात्र-छात्राओ का अपार जनसमर्थन। अभिषेक ने FRC को 3 मार्च को घेरा लिहाजा प्रशासन ने गिरफ्तार कर 14 दिन की रिमांड पर भेज दिया। जेल से छूटने तक नैतिक रूप से कमान फिर अंकित द्विवेदी ने संभाला। अभिषेक की जेल से वापसी वही जज्बा वही जुनून। लोग कहते रहे ऑफलाइन अभिषेक बोलता रहा ऑनलाइन। छोड़कर भागते रहे छात्रनेता, लेकिन अभिषेक की एक आवाज हर आंदोलन मे छात्र-छात्राओ की संख्या बढती गयी। 24 मार्च को हाई पावर कमेटी की निर्णय ऑफलाइन, लोग निराश पर अभिषेक का जोश अब भी हाई। 25 मार्च को फिर काॅल छात्र-छात्राओ का जोश चरम पर, छात्र जीवन मरण के विकल्प पर, प्रयागराज प्रशासन का हस्तक्षेप, इलाहाबाद विश्वविद्यालय का फैसला, निर्णय ऑनलाइन, रो रही अभिषेक की आँखे, रातो ही रात कब बना अभिषेक महानायक यह अभिषेक के अविरल संघर्ष, उसके तपस्या व आम छात्र-छात्राओ के प्रेम ने उसे हाथो हाथ उठा लिया।

दशको में पैदा होते है महानायक -

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ छात्रनेताओ का कहना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बहुत कम ही ऐसे आंदोलन होते है दशको मे ऐसा नेतृत्व पैदा होता है। इस आंदोलन के साथ अभिषेक ने अपना नाम पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह, वी.पी सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी, मोहन सिंह, राकेश धर त्रिपाठी, विनोद चंद दुबे, रामाधीन सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह, अखिलेन्द्र सिंह, संजय तिवारी, अभिषेक सिंह माइकल, सुमित शुक्ला, कुलदीप सिंह केडी, कृष्णमूर्ति यादव, राणा यशवंत प्रताप सिंह, रिंकू राय, अवनीश यादव जैसे दिग्गजों में अपना नाम शुमार किया है जिसके आंदोलन व काॅल पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आम छात्र-छात्राओ ने अभूतपूर्व सहयोग दिया हो।
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